तलसीदासजी कहा :
"कोयल काको त कागा कास त।
तलसी मीठ वचन जग अपन कर त।।"
वाणी मनय को ईर की अनपम न । मनय का भाषा पर वष अधकार । भाषा कारण ही मनय इतनी उनत कर सका । हमारी वाणी मधरता का िजतना अधक अश होगा हम उत ही सर य बन सक । हमारी बोली माधय साथ-साथिशता भी होनी चाहए।
मधर वाणी मनोनकल होती जो कान पड़ पर िच वत हो उठता ।वाणी की मधरता दय-ार खोल की कजी । एक ही बात को हम कट शद कह और उसी को हम मधर बना सक । वातलाप की िशता मनय को आदर का पा बनाती और समाज उसकी सफलता िलए राता साफ़ कर ती । कट वाणी आदमी को कर सकती तो इस वपरीत मधर वाणी स को सन भी कर सकती ।
हमारी वाणी ही हमारी िशा-दीा, कल की परपरा और मयदा का परचय ती । इसिलए ह वातलाप यापारक बातचीत एव नजी बातचीत थोडा अतर रखना चाहए। वाणी कसी भी िथत कट एव अिश नह होनी चाहए।
Location : SH 130, Gujarat,
BY CHARMIN PATEL
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