पयवरण षण भारतकी ही नह अपत सपण व की एक गभीर समया। यह मय प कत साथ क गए अयायकासाकार प । षण मय प वाय-षण, जल-षण एव वन-षण शािमल ।
परी नया जगल को उजाड़ जा, नदय शहरी नािलयका पानी िमला जा, सम रासायनक कचड़ डा जा, जीव-जतआ का सहार क जा, मील काधआ हवा िमला जा फलवप कतअसतिलत होगई। व काट कभी बाढ़ एव कभी सखाकी समया पदा हो गई। मौसम च पण प गड़बड़ाता चला गया।
पवी पर जीवन कत-सतलन ही सभव । पयवरण हमा जीवन, वाय, सख-शत तथा सपनता सहायक । वाय, जल, वनपत-जगतआद सभी का सबध पयवरण । इसी कार भिम, नदी, पश-पी एव खनज सपदाभी पयवरण ही अग ।
आज सभी लोग पयवरण षण की समया चतत । सरकार भी इस समया वष चतत । पयवरण षण काखतरा बढ़ताजा रहा । अतः पयवरण षण बढ़खत पर भावी ढग नयण पानाआवयक होगया। हष का वषय क सभी लोग इस खत त जागक ए । हम सभी को इस कारणपर वचार करना चाहए और पयवरण षण छटकारा पा उपाय सचकर उनपर अमल करनाचाहए।
Location : Gandhi Rd, Unjha, Gujarat,
BY CHARMIN PATEL
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