वसंत ऋतु माघ शुक्ल पक्ष से फाल्गुन पूर्णिमा तक चलने वाली ऋतु है। हमारा ही देश एक ऐसा देश है जिसमें छ: ऋतुऐं आती हैं। वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है।
वसंत ऋतु में सूखे पत्ते झड़ जाते हैं और नए पत्ते आने लगते हैं। सरसों के खेत फूलों से लदे हुए मानो ऐसे लगते हैं कि कालीन बिछा दिया गया हो। यह ऋतु सब ऋतुओं से सुंदर, सुहावन, आकर्षक एवं मनमोहक होता है। हर व्यक्ति बाहर घूमने फिरने के इस मौसम में लालसा रखता है। चारों ओर फूल ही फूल दिखाई देते हैं।
कोयल पंचम स्वर में गाती है और सभी को कुहू-कुहू की आवाज़ से मंत्रमुग्ध करती है। खेतों में नई फसले पक जाती हैं। सरसों के खेत मन लुभाने लगते हैं। सरोवर में कमल के फूल खिलते हैं। आकाश में हर तरफ पक्षी उड़ते नज़र आते हैं मानो ऋतुराज का स्वागत कर रहे हो। सब के मन में नया उत्साह, उमंग तथा नई स्फूर्ति जागृत होती है। वसंत ऋतु में खुले स्थानों, पर्वतों, जंगलों में घूमने का नज़ारा अद्भुत होता है। इस ऋतु में खाना अधिक न खाकर फल, खट्टे, नमकीन पदार्थ ज़्यादा अच्छे लगते हैं। इस समय यह स्वास्थय के लिए भी अधिक लाभकारी होता है।
इस ऋतु में गुलमोहर, सूरजमुखी, चंपा, गुलाब, चमेली आदि पुष्पों का सौंदर्य सबको अपने आकर्षण में बाँध लेता है।
कवि देव ने भी वसंत को कामदेव रुपी राजा का शिशु कहा है, जिसे प्रकृति पालना झुलाती है। इन दिनों में सूर्य की उष्णता भी अधिक नहीं होती है। मौसम सुहावना एवं मनभावक होता है। इस माह वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पीले वस्त्र पहनकर लोग पूजन करते हैं। वसंत ऋतु प्रकृति की अनुपम भेंट है।
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